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डेयरी फार्म बिज़नेस की शुरुआत कैसे करें ?

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इस बात को सभी जानते है की भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ हर राज्य में किसी न किसी उत्पादों की कृषि की जाती   है | लेकिन फिर भी आजकल के युवा कमाई के लिए प्राइवेट सेक्टर का सबसे अधिक चुनाव करते है, क्योंकि वह ऐसे व्यवसाय को चुनने का रिस्क नहीं लेते, जिस पर उन्हें अधिक निवेश करना पड़े और वहां से लाभ उन्हें कम प्राप्त हो | लेकिन आपको बता दें कि भारत इकलौता ऐसा देश है, जहाँ फार्मिंग के माध्यम से अच्छी कमाई की जा सकती है | लेकिन आजकल के युवा का ध्यान प्राइवेट सेक्टर की ओर सबसे अधिक जाता है, यही कारणों से वह कमाई के लिए प्राइवेट सेक्टर में अधिक भटकते रहते है | 

यदि आप उन लोगों में से है जो फार्मिंग को चुनकर एक ऐसा बिजनेस करना चाहते, जिसमें आपको निवेश में कम लगना पड़े और आगे चलकर इससे मुनाफा भी अधिक मिले, तो इसके लिए आप डेयरी फार्म बिजनेस का प्लान कर सकते हो | आइये जानते है है क्या है डेयरी फार्म :- 

 

डेयरी फार्म बिज़नेस क्या होता है ?

 

डेयरी फार्म एक तरह का दुधारू पशुओं की देखभाल करके, उन पशुओं से मिले दूध को बेचने वाला काम है | यह भारत में सबसे लोकप्रिय कृषि संबंधी उद्योग है, जिसे अक्सर ग्रामीण लॉग करना पसंद करते है | डेयरी फार्मिंग में दूध के अलावा, डेयरी उत्पादों का भी उत्पादन किया जाता है | इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र के किसानों से सीधा डेयरी उत्पादों को सही मोल पर खरीद कर और उसे उचित मूल्य के साथ बाजार में बेचने के लिए उपलब्ध भी कराया जा सकता है | हालांकि अब ऐसा नहीं की आप डेयरी फार्मिंग में केवल दूध का व्यवसाय कर सकते है, इसके अलावा आप दूध से बनने वाले डेयरी उत्पाद जैसे की घी, छाछ, मावा, मक्खन, दही आदि का भी व्यवसाय भी कर सकते है | 

डेयरी फार्म बिज़नेस को शुरू करने के लिए और इससे जुडी उत्पादों के बारे में अधिक जानकारी लेने के लिए आप एनके डेयरी इक्विपमेंट से परामर्श कर सकते है | एनके डेयरी इक्विपमेंट भारत के सवर्श्रेष्ठ संस्थान में से एक है, जो डेयरी फार्मिंग से जुडी हर प्रकार के उपकरणों के निर्माता है और पूरे भारत में इन उपकरणों के आपूर्तिकर्ताओं का कार्य करते है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही एनके डेयरी इक्विपमेंट नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्प्पोइन्मनेट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |   

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भैंस का दूध निकालने वाली मशीन की प्रक्रिया किस प्रकार होती है ?

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एनके डेयरी इक्विपमेंट के यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो के माध्यम से यह बताया गया की भैंस का दूध निकालने वाली मशीन एक आधुनिक मशीन है, जिसके माध्यम से बिना थानों को नुक़सान पहुंचाए, भैंसो से जल्दी और कुशलतापूवर्क दूध निकालने की प्रक्रिया को किया जाता है | यह तब ही मुकीम है जब इस मशीन को ठीक से स्थापित किया जाए, बेहतरीन संचालनों की स्थितियों में रखा जाए और सटीक तरीकों से उपयोग किया जाए | यह मशीन दो आधरभूतों में कार्य करती है :- 

  • यह मशीन आंशिक निर्वात के माध्यम से स्ट्रीक कैनाल को खोल देती है, जिससे यह दूध को एक लाइन के द्वारा थानों से कंटेनर तक पहुंचाने का काम करती है | 
  • यह मशीन लगातार थानों की मालिश करती है, जिससे थानों में रक्त और लसीका जमा नहीं होते | 

 

भैंस के थन और थन मवेशियां से बिलकुल अलग होती है, इसलिए भैंस से दूध निकालने के लिए, इस मशीन को भैंसो के हिसाब से बदलना पड़ता है | हालाँकि कई बार भरी क्लस्टर, उच्च संचालन वैक्यूम और तेज़ थरथराहट की आवश्यकता भी पड़ सकती है | एनके डेयरी इक्विपमेंट भैंस दूध निकालने वाली मशीन के सवर्श्रेष्ठ निर्माताओं में से एक है, जो आपको कम लागत में मशीन की उपलब्धि करवा सकती है | यदि आप भी ऐसे ही मशीन की खोज कर रहे है तो इसके लिए आप एनके डेयरी इक्विपमेंट से परामर्श कर सकते है | यह संस्था डेयरी फार्मिंग से जुड़े हर तरह के उपकरण का निर्माण करती है और साथ ही यह आपको सही मार्गदर्शन भी प्रदान कर सकती है |      

 

इसलिए आज ही एनके डेयरी इक्विपमेंट नामक वेबसाइट पर जाएं और दिए गए नंबरों से संपर्क करें | इससे जुड़ी अधिक  जानकारी के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें और इस वीडियो को पूरा देखें | इसके अलावा आप एनके डेयरी इक्विपमेंट नामक यूट्यूब चैनल पर भी विजिट कर सकते है | यहाँ से आपको इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो प्राप्त हो   जाएगी |

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Dairy Plants

Define dairy farming and Animal care.

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Dairy farming aims to raise animals, primarily dairy cows, to produce milk, paneer, ghee, and other dairy products. Dairy farmers prioritize managing their animals’ health, welfare, and milk yield to maximize milk production in terms of both volume and quality. Proper care and quality of dairy farming help increase the number of dairy products, and for making quality khoya, khoya machines are available. 

 

What is the definition of dairy farming and animal care? 

  • Dairy farming: A subset of agriculture known as dairy farming involves the breeding, growing, and use of dairy animals, primarily cows, to generate milk and other processed dairy products. The buffalo and cows are the leading producers of milk for human consumption. In Egypt, China, India, and other Asian nations, goats are an essential source of milk. Although goat milk is produced in North America and Europe, it is less significant than cow’s milk. To take more ghee from the milk butter, the best companies planted a ghee plant. 
  • Animal care: The term animal care describes giving medical, psychological, and physical assistance to maintain the health and welfare of animals. This entails giving adequate rest, food, exercise, grooming, and medical care as required. In addition to providing for animals’ behavioral and social needs, animal care also entails fostering their physical and mental well-being and establishing secure, stimulating settings.

 

What are the benefits of dairy farming? 

As with any agricultural endeavor, dairy farming has several advantages for both farmers and society at large. Here are a few of the main advantages:

  • Nutritious Food Production: Dairy farming produces a consistent amount of foods rich in vitamins, calcium, and other necessary nutrients, like butter, cheese, yogurt, and milk.
  • Economic Contribution: Dairy farming makes a substantial contribution to the economy by giving farmers a source of income, creating jobs in rural regions, and bolstering associated sectors like transportation, equipment manufacturing, and feed production.
  • Support for Livelihood: For families in rural regions, dairy farming can be a source of income that helps to reduce poverty and provide a means of self-sufficiency.
  • Land Use: Grasslands and other areas of land that might not be appropriate for different kinds of agriculture are frequently used for dairy production. This aids in stopping land deterioration and making efficient use of resources.
  • Soil Fertility and Management: Sustainable agricultural practices and improved soil fertility can result from well-managed dairy farms, which include recycling organic matter through manure.
  • Environmental Benefits: By fostering biodiversity, storing carbon in soils, and offering homes for wildlife, well-managed dairy farms can have a positive impact on the environment.
  • Community Development: Dairy farms frequently significantly impact rural communities, promoting social cohesiveness and offering chances for involvement and assistance.
  • Agriculture Sector Diversification: Dairy farming increases agricultural sector diversity by lowering reliance on a single crop and bolstering resilience against market swings.
  • Food Security: Dairy farming contributes to food security and stability by helping to meet the world’s expanding demand for dairy products.
  • Research and Innovation: Advances in animal nutrition, genetics, and management techniques are made possible by dairy farming, which also boosts production and sustainability.

 

Nowadays, advanced technology is used for dairy farming. If you are looking for dairy equipment in Ludhiana, then contact NK Dairy Equipments. 

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दूध और दही को पाश्चराइज़र करने के लिए कौन-सी मशीन का किया जाता है उपयोग ?

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एन.के. डेयरी इक्विपमेंट ने अपने यूट्यूब चैनल में एक वीडियो के माध्यम से यह दिखाया की कैसे एक मशीन का प्रयोग कर दूध और दही को पाश्चराइज़ किया जा रहा है | अब अगर बात करें की पाश्चराइज़र क्या होता है तो पाश्चराइज़र एक ऐसी प्रक्रिया होती है जिसमे तरल दूध या तरल पदार्थ को अलग-अलग ताप उपचार करने के बाद पाश्चराइज़ किया जाता है, फिर इस पाश्चराइज़ दूध और दही को उपभोगताओं के पास पहुँचाया जाता है | 

 

इस वीडियो में यह भी दिखाया गया की कैसे कच्चे दूध को मशीन के अलग-अलग हिस्सों में ताप उपचार कर पाश्चराइज़ किया जा रहा है और इसके साथ ही यह काम बिना किसी व्यक्ति के हाथ लगाए मशीन के माध्यम से ही बड़े आसानी से किया जाता है | तरल दूध में जिन गुणों की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है वो है उपभोक्ताओं के लिए सुरक्षा, शेल्फ लाइव और स्वाद, जो की इस मशीन के माद्यम से प्राप्त किया जाता है | 

 

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप दिए गए लिंक पर क्लिक कर इस वीडियो को पूरा देखें | इसके अलावा आप एन.के. डेयरी इक्विपमेंट नामक यूट्यूब चैनल पर विजिट कर सकते है | इस चैनल पर इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो पोस्ट की हुई है | 

 

यदि आपका डेयरी फार्मिंग में व्यवसाय है और डेयरी फार्मिंग से जुड़े उपकरणों की तलाश कर रहे है तो इसके लिए आप एन.के. डेयरी इक्विपमेंट से परामर्श कर सकते है | इस संस्था के पास डेयरी फार्मिंग से जुड़े हर तरह के उपकरण मौजूद है और इसके साथ से यह आपको डेयरी फार्मिंग से जुड़े किसी भी तरह की विषय की सम्पूर्ण जानकारी के साथ-साथ सही मार्गदर्शन प्रदान कर सकते है | इसलिए आज ही एन.के. डेयरी इक्विपमेंट नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से भी सीधा संपर्क कर सकते है |     

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अब इन 2 खास मशीनों की मदद से हो सकती है डेयरी के व्यवसाय से शानदार कमाई

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अगर आप अपने डेयरी फार्म में थोड़े से लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करे तो आप आसानी से कम समय में अच्छी कमाई  कर सकते है | ऐसे बहुत से लोग होते है जो डेयरी का बिज़नेस शुरू करना चाहते है, कुछ लोगों ने तो शुरू भी कर लिया होता है | उनमे से कुछ लोग होते है जो अकसर दूध को बाहर से खरीद कर बेचैन शुरू कर देते है, जिससे उन्हें कुछ खास मुनाफा प्राप्त नहीं होता | आजकल मार्किट में ऐसे लेटेस्ट टेक्नोलॉजी ने कदम रखा है, जिसके इस्तेमाल आपकी डेयरी फार्मिंग भी अच्छी हो जाएगी और कम समय में शानदार कमाई भी होने लग जाएगी | 

 

दरअसल लोग अब किसी भी सामान को खरीदने से पहले उसकी कीमत के बजाये उसकी क्वालिटी पर ज़्यादा ध्यान देते है |  ऐसे में आपको क्वालिटी के आधार पर कमाई करने का काफी अच्छा अवसर मिल सकता है | जिन लोगों के पास गाये-भैंसे नहीं होती है, वह अक्सर गावों में से किसानो या फिर पशुपालकों से दूध को खरीदकर आम लोगों को बेचते है | ऐसे में आप लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से एक बिज़नेस को शुरू कर सकते है, जिसमे आप किसी भी गांव से दूध को खरीद कर किसी भी जगह बेच सकते है | इसके  लिए आपको दो ऐसे मशीनों की आवश्यकता होगी, जिससे आप अपने काम को शुरू कर सकते है | आइये जानते है ऐसे मशीनों के बारे में और क्या है इसके फायदे :- 

 

  1. मिल्क स्टीरर मशीन :- इस मशीन को कई लोग वाइब्रेटर भी कहते है | यह मशीन का इस्तेमाल दूध के सैंपल के तापमान को मेंटेन करने के लिए किया जाता है | अगर दूध का तापमान ठंडा या गर्म है तो उससे भी यह मशीन सही तापमान में परिवर्तित कर देता है | 

 

  1. फैट टेस्टिंग मशीन :- इस मशीन का इस्तेमाल दूध में फैट की टेस्टिंग के लिए की जाती है, और साथ ही मशीन से यह भी पता चल जाता है कि दूध में किसी तरह का मिलावट है या नहीं | यह मशीन उन लोगों के लिए बहुत फायदेमंद है जो डेयरी का बिज़नेस कर रहे है | 

 

इस मशीन इस्तेमाल दूध को खरीदने और बेचने दोनों समय में किया जा सकता है | दरअसल आप जब दूध को किसी भी गांव या फिर पशुपालन से खरीदते हो तो आप इस मशीन के ज़रिये दूध का फैट टेस्ट करके उस हिसाब से रेट लगा सकते  हो | जिन लोगों के पास यह मशीन नहीं होती वह लोग अक्सर धोखा का जाते है और पशुपालकों से मिलावट को खरीद लेते है, जिससे उन्हें खास प्रॉफिट भी नहीं मिलता, ऊपर से अलग से नुक्सान भी हो जाता है | ऐसे में आप मशीन की सहायता से अच्छे क्वालिटी का दूध खरीद पाओगे और बेच पाओगे | जिससे आपके ग्राहक की संख्या तो बढ़ेगी और साथ ही शानदार कमाई भी होगी | 

 

इस संबंधी कोई भी जानकारी के लिए आप एनके डेयरी इक्विपमेंट से चयन कर सकते है | यहाँ पर डेयरी से जुड़ी हर तरह के उपकरण मौजूद है |   

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Milk Processing

Different facts to know about cows.

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Dairy farming is a type of agriculture dedicated to producing milk, Paneer, ghee and other dairy products from the care and feeding of the cattle, mainly dairy cows. The main focus of dairy farmers is managing the animals’ health, welfare and milk production to obtain the highest possible quantity and quality of the milk. For the preparation of ghee, planting of ghee plant can be beneficial.                                                       

 

What is the definition of Dairy farming? 

Dairy farming is a branch of agriculture encompassing the breeding, raising, and utilization of dairy animals, primarily cows, to produce milk and various processed dairy products. Milk for human consumption is produced primarily by the cows and the buffalo. The goat is a vital milk producer in China, India, and other Asian countries, as well as in Egypt. Goat’s milk is also produced in Europe and North America, but goat’s milk is relatively unimportant compared to cow’s milk. A khoya machine is beneficial to get good quality dairy products like khoya.                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                 Facts about the cows. 

The following are some fascinating cow-related facts:

  • Social animals: Cows are gregarious and develop strong relationships with other cow herders. When separated from their companions, they frequently exhibit distressing behaviors.
  • Communication: Cows use a sophisticated system of vocalizations, body language, and even facial expressions to communicate with one another. They can express feelings of joy, satisfaction, or anxiety.
  • Grazers: Cows are herbivores that mostly eat grass and other plants. This makes them known as grazers. Their four-compartmented specialized stomachs allow them to break down complex plant material efficiently.
  • Ruminants: Since cows have a unique digestive system that enables them to ferment and break down cellulose in their diet, they are considered ruminants. Their specialized stomach compartments, the reticulum and rumen, are where this process occurs.
  • Production of Milk: The primary purpose of cow breeding is to produce milk. A dairy cow can yield between 6 and 7 gallons of milk on average per day, though this might vary based on the breed and the individual cow’s health.
  • Breeds: Cows come in various breeds, each having distinctive qualities. 
  • Intelligent Animals: Cows are incredibly wise and capable of solving complex puzzles. They can pick up duties and distinguish between different people and animals.
  • Calm Temperament: Cow cows are often quiet and kind despite their massive stature. On the other hand, if they perceive a threat or their calves are in danger, they may turn hostile.
  • Environmental influence: Because cows graze on the ground and emit methane during their digestive processes, they can negatively influence the environment. Efforts are being made to create sustainable farming methods to lessen these effects.
  • Symbolism: In many communities worldwide, cows are associated with culture. Some cultures view them as sacred or holy animals, while others view them as symbols of fertility, abundance, and sustenance.

Nowadays, advanced technology is used for dairy farming. If you are looking for dairy equipment in Ludhiana, then contact NK Dairy Equipments.

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Define dairy farming.

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Dairy farming is a type of agriculture dedicated to producing milk, Paneer, ghee and other dairy products from the care and feeding of the cattle, mainly dairy cows. The main focus of dairy farmers is managing the animals’ health, welfare and milk production to obtain the highest possible quantity and quality of the milk. 

 

What is the definition of Dairy farming? 

Dairy farming is a branch of agriculture encompassing the breeding, raising, and utilization of dairy animals, primarily cows, to produce milk and various processed dairy products. Milk for human consumption is produced primarily by the cows and the buffalo. The goat is a vital milk producer in China, India, and other Asian countries, as well as in Egypt. Goat’s milk is also produced in Europe and North America, but goat’s milk is relatively unimportant compared to cow’s milk.

 

Different types of dairy farming techniques 

There are different types of dairy farming techniques. 

  • Robotic milking is one of the most significant and recognized dairy industry advancements. Automated milking machines handle the whole milking process automatically and gather data to help dairy producers make important decisions for the handling and dairy cattle nutrition of each cow in their system. They measure milk production on a per-cow basis and can measure the grain concentrate each cow is ingesting so you can see the impact it has on their milk production. The khoya machine is used for production of Khoya. 
  • Rumination collars: A rumination collar uses a microphone to measure a dairy cow’s rumination to help ensure a smooth transition period. Changes in rumination can be an early sign of calving diseases and negative impacts if recent ration changes cow comfort. It is essential to know the rumination patterns for specific dairy cows that can help mitigate the effects of manageable stressors like heat stress. 
  • Rumen Bolus: A rumen bolus measures rumen temperature and pH levels to help identify systemic infections that need treatment. If a rumen bolus tells a dairy producer that a cow’s pH is dropping, it is a sign that a total mix ration is not mixed thoroughly, sorting is taking place, or a ration change is having negative impacts. 
  • Parlour Monitoring: Parlor monitoring systems measure daily milk flow per cow, and there are some systems that can measure components like daily milk fat and daily milk protein and can even address milk quality by measuring somatic cells. The Ghee Plant is used for making more ghee. 

 

Things that are used for preparing feed for cows

There are two significant categories of feed: concentrates and roughages. Roughages are usually high in fiber and the concentrates are high in protein and carbohydrates. 

  • Roughages: Roughages or fiber refers to the carbs in plants that your body can not digest. Once roughage reaches your large intestine, it’s either broken down by your gut bacteria or exits your body in your stools. 
  • Concentrates: Concentrates are low-fiber, high-energy feeds when compared to forages, and they can vary considerably in their protein content. Most often, they are fed to raise the energy level of the ration for dairy cattle and to compensate for any other deficiencies that remain beyond those provided by the forage portion of the ration.

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